R.C.M.PUC MORENA
Friday, January 4, 2013
साँपो के बारे मे एक महत्वपूर्ण बात
दोस्तो सबसे पहले साँपो के बारे मे एक महत्वपूर्ण बात आप ये जान लीजिये ! कि अपने देश भारत मे 550 किस्म के साँप है ! जैसे एक cobra है ,viper है ,karit है ! ऐसी 550 किस्म की साँपो की जातियाँ हैं ! इनमे से मुश्किल से 10 साँप है जो जहरीले है सिर्फ 10 ! बाकी सब non poisonous है! इसका मतलब ये हुआ 540 साँप ऐसे है जिनके काटने से आपको कुछ नहीं होगा !! बिलकुल चिंता मत करिए !
लेकिन साँप के काटने का डर इतना है (हाय साँप ने काट लिया ) और कि कई बार आदमी heart attack से मर जाता है !जहर से नहीं मरता cardiac arrest से मर जाता है ! तो डर इतना है मन मे ! तो ये डर निकलना चाहिए !
वो डर कैसे निकलेगा ????
जब आपको ये पता होगा कि 550 तरह के साँप है उनमे से सिर्फ 10 साँप जहरीले हैं ! जिनके काटने से कोई मरता है ! इनमे से जो सबसे जहरीला साँप है उसका नाम है !
russell viper ! उसके बाद है karit इसके बाद है viper और एक है cobra ! king cobra जिसको आप कहते है काला नाग !! ये 4 तो बहुत ही खतरनाक और जहरीले है इनमे से किसी ने काट लिया तो 99 % chances है कि death होगी !
लेकिन अगर आप थोड़ी होशियारी दिखाये तो आप रोगी को बचा सकते हैं
होशियारी क्या दिखनी है ???
आपने देखा होगा साँप जब भी काटता है तो उसके दो दाँत है जिनमे जहर है जो शरीर के मास के अंदर घुस जाते हैं ! और खून मे वो अपना जहर छोड़ देता है ! तो फिर ये जहर ऊपर की तरफ जाता है ! मान लीजिये हाथ पर साँप ने काट लिया तो फिर जहर दिल की तरफ जाएगा उसके बाद पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! ऐसे ही अगर पैर पर काट लिया तो फिर ऊपर की और heart तक जाएगा और फिर पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! कहीं भी काटेगा तो दिल तक जाएगा ! और पूरे मे खून मे पूरे शरीर मे उसे पहुँचने मे 3 घंटे लगेंगे !
मतलब ये है कि रोगी 3 घंटे तक तो नहीं ही मरेगा ! जब पूरे दिमाग के एक एक हिस्से मे बाकी सब जगह पर जहर पहुँच जाएगा तभी उसकी death होगी otherwise नहीं होगी ! तो 3 घंटे का time है रोगी को बचाने का और उस तीन घंटे मे अगर आप कुछ कर ले तो बहुत अच्छा है !
क्या कर सकते हैं ?? ???
घर मे कोई पुराना इंजेक्शन (injection) हो तो उसे ले और आगे जहां सुई(needle) लगी होती है वहाँ से काटे ! सुई(needle) जिस पलास्टिक मे फिट होती है उस प्लास्टिक वाले हिस्से को काटे !! जैसे ही आप सुई के पीछे लगे पलास्टिक वाले हिस्से को काटेंगे तो वो injection एक सक्षम पाईप की तरह हो जाएगा ! बिलकुल वैसा ही जैसा होली के दिनो मे बच्चो की पिचकारी होती है !
उसके बाद आप रोगी के शरीर पर जहां साँप ने काटा है वो निशान ढूँढे ! बिलकुल आसानी से मिल जाएगा क्यूंकि जहां साँप काटता है वहाँ कुछ सूजन आ जाती है और दो निशान जिन पर हल्का खून लगा होता है आपको मिल जाएँगे ! अब आपको वो injection( जिसका सुई वाला हिस्सा आपने काट दिया है) लेना है और उन दो निशान मे से पहले एक निशान पर रख कर उसको खीचना है ! जैसी आप निशान पर injection रखेंगे वो निशान पर चिपक जाएगा तो उसमे vacuum crate हो जाएगा ! और आप खींचेगे तो खून उस injection मे भर जाएगा ! बिलकुल वैसे ही जैसे बच्चे पिचकारी से पानी भरते हैं ! तो आप इंजेक्शन से खींचते रहिए !और आप first time निकलेंगे तो देखेंगे कि उस खून का रंग हल्का blackish होगा या dark होगा तो समझ लीजिये उसमे जहर मिक्स हो गया है !
तो जब तक वो dark और blackish रंग blood निकलता रहे आप खिंचीये ! तो वो सारा निकल आएगा ! क्यूंकि साँप जो काटता है उसमे जहर ज्यादा नहीं होता है 0.5 मिलीग्राम के आस पास होता है क्यूंकि इससे ज्यादा उसके दाँतो मे रह ही नहीं सकता ! तो 0.5 ,0.6 मिलीग्राम है दो तीन बार मे आपने खीच लिया तो बाहर आ जाएगा ! और जैसे ही बाहर आएगा आप देखेंगे कि रोगी मे कुछ बदलाव आ रहा है थोड़ी consciousness (चेतना) आ जाएगी ! साँप काटने से व्यकित unconsciousness हो जाता है या semi consciousness हो जाता है और जहर को बाहर खींचने से चेतना आ जाती है ! consciousness आ गई तो वो मरेगा नहीं ! तो ये आप उसके लिए first aid (प्राथमिक सहायता) कर सकते हैं !
इसी injection को आप बीच से कट कर दीजिये बिलकुल बीच कट कर दीजिये 50% इधर 50% उधर ! तो आगे का जो छेद है उसका आकार और बढ़ जाएगा और खून और जल्दी से उसमे भरेगा !
तो ये आप रोगी के लिए first aid (प्राथमिक सहायता) के लिए ये कर सकते हैं !
__________________________ __
दूसरा एक medicine आप चाहें तो हमेशा अपने घर मे रख सकते हैं बहुत सस्ती है homeopathy मे आती है ! उसका नाम है NAJA (N A J A ) ! homeopathy medicine है किसी भी homeopathy shop मे आपको मिल जाएगी ! और इसकी potency है 200 ! आप दुकान पर जाकर कहें NAJA 200 देदो ! तो दुकानदार आपको दे देगा ! ये 5 मिलीलीटर आप घर मे खरीद कर रख लीजिएगा 100 लोगो की जान इससे बच जाएगी ! और इसकी कीमत सिर्फ पाँच रुपए है ! इसकी बोतल भी आती है 100 मिलीग्राम की 70 से 80 रुपए की उससे आप कम से कम 10000 लोगो की जान बचा सकते हैं जिनको साँप ने काटा है !
और ये जो medicine है NAJA ये दुनिया के सबसे खतरनाक साँप का ही poison है जिसको कहते है क्रैक ! इस साँप का poison दुनिया मे सबसे खराब माना जाता है ! इसके बारे मे कहते है अगर इसने किसी को काटा तो उसे भगवान ही बचा सकता है ! medicine भी वहाँ काम नहीं करती उसी का ये poison है लेकिन delusion form मे है तो घबराने की कोई बात नहीं ! आयुर्वेद का सिद्धांत आप जानते है लोहा लोहे को काटता है तो जब जहर चला जाता है शरीर के अंदर तो दूसरे साँप का जहर ही काम आता है !
तो ये NAJA 200 आप घर मे रख लीजिये !अब देनी कैसे है रोगी को वो आप जान लीजिये !
1 बूंद उसकी जीभ पर रखे और 10 मिनट बाद फिर 1 बूंद रखे और फिर 10 मिनट बाद 1 बूंद रखे !! 3 बार डाल के छोड़ दीजिये !बस इतना काफी है !
और राजीव भाई video मे बताते है कि ये दवा रोगी की जिंदगी को हमेशा हमेशा के लिए बचा लेगी ! और साँप काटने के एलोपेथी मे जो injection है वो आम अस्तप्तालों मे नहीं मिल पाते ! डाक्टर आपको कहेगा इस अस्तपाताल मे ले जाओ उसमे ले जाओ आदि आदि !!
और जो ये एलोपेथी वालो के पास injection है इसकी कीमत 10 से 15 हजार रुपए है ! और अगर मिल जाएँ तो डाक्टर एक साथ 8 से -10 injection ठोक देता है ! कभी कभी 15 तक ठोक देता है मतलब लाख-डेड लाख तो आपका एक बार मे साफ !! और यहाँ सिर्फ 10 रुपए की medicine से आप उसकी जान बचा सकते हैं !
और राजीव भाई इस video मे बताते है कि injection जितना effective है मैं इस दवा(NAJA) की गारंटी लेता हूँ ये दवा एलोपेथी के injection से 100 गुना (times) ज्यादा effective है !
तो अंत आप याद रखिए घर मे किसी को साँप काटे और अगर दवा(NAJA) घर मे न हो ! फटाफट कहीं से injection लेकर first aid (प्राथमिक सहायता) के लिए आप injection वाला उपाय शुरू करे ! और अगर दवा है तो फटाफट पहले दवा पिला दे और उधर से injection वाला उपचार भी करते रहे !
दवा injection वाले उपचार से ज्यादा जरूरी है !!
__________________________ ______
तो ये जानकारी आप हमेशा याद रखे पता नहीं कब काम आ जाए हो सकता है आपके ही जीवन मे काम आ जाए ! या पड़ोसी के जीवन मे या किसी रिश्तेदार के काम आ जाए! तो first aid के लिए injection की सुई काटने वाला तरीका और ये NAJA 200 hoeopathy दवा ! 10 - 10 मिनट बाद 1 - 1 बूंद तीन बार
रोगी की जान बचा सकती है !!
आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
लेकिन साँप के काटने का डर इतना है (हाय साँप ने काट लिया ) और कि कई बार आदमी heart attack से मर जाता है !जहर से नहीं मरता cardiac arrest से मर जाता है ! तो डर इतना है मन मे ! तो ये डर निकलना चाहिए !
वो डर कैसे निकलेगा ????
जब आपको ये पता होगा कि 550 तरह के साँप है उनमे से सिर्फ 10 साँप जहरीले हैं ! जिनके काटने से कोई मरता है ! इनमे से जो सबसे जहरीला साँप है उसका नाम है !
russell viper ! उसके बाद है karit इसके बाद है viper और एक है cobra ! king cobra जिसको आप कहते है काला नाग !! ये 4 तो बहुत ही खतरनाक और जहरीले है इनमे से किसी ने काट लिया तो 99 % chances है कि death होगी !
लेकिन अगर आप थोड़ी होशियारी दिखाये तो आप रोगी को बचा सकते हैं
होशियारी क्या दिखनी है ???
आपने देखा होगा साँप जब भी काटता है तो उसके दो दाँत है जिनमे जहर है जो शरीर के मास के अंदर घुस जाते हैं ! और खून मे वो अपना जहर छोड़ देता है ! तो फिर ये जहर ऊपर की तरफ जाता है ! मान लीजिये हाथ पर साँप ने काट लिया तो फिर जहर दिल की तरफ जाएगा उसके बाद पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! ऐसे ही अगर पैर पर काट लिया तो फिर ऊपर की और heart तक जाएगा और फिर पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! कहीं भी काटेगा तो दिल तक जाएगा ! और पूरे मे खून मे पूरे शरीर मे उसे पहुँचने मे 3 घंटे लगेंगे !
मतलब ये है कि रोगी 3 घंटे तक तो नहीं ही मरेगा ! जब पूरे दिमाग के एक एक हिस्से मे बाकी सब जगह पर जहर पहुँच जाएगा तभी उसकी death होगी otherwise नहीं होगी ! तो 3 घंटे का time है रोगी को बचाने का और उस तीन घंटे मे अगर आप कुछ कर ले तो बहुत अच्छा है !
क्या कर सकते हैं ?? ???
घर मे कोई पुराना इंजेक्शन (injection) हो तो उसे ले और आगे जहां सुई(needle) लगी होती है वहाँ से काटे ! सुई(needle) जिस पलास्टिक मे फिट होती है उस प्लास्टिक वाले हिस्से को काटे !! जैसे ही आप सुई के पीछे लगे पलास्टिक वाले हिस्से को काटेंगे तो वो injection एक सक्षम पाईप की तरह हो जाएगा ! बिलकुल वैसा ही जैसा होली के दिनो मे बच्चो की पिचकारी होती है !
उसके बाद आप रोगी के शरीर पर जहां साँप ने काटा है वो निशान ढूँढे ! बिलकुल आसानी से मिल जाएगा क्यूंकि जहां साँप काटता है वहाँ कुछ सूजन आ जाती है और दो निशान जिन पर हल्का खून लगा होता है आपको मिल जाएँगे ! अब आपको वो injection( जिसका सुई वाला हिस्सा आपने काट दिया है) लेना है और उन दो निशान मे से पहले एक निशान पर रख कर उसको खीचना है ! जैसी आप निशान पर injection रखेंगे वो निशान पर चिपक जाएगा तो उसमे vacuum crate हो जाएगा ! और आप खींचेगे तो खून उस injection मे भर जाएगा ! बिलकुल वैसे ही जैसे बच्चे पिचकारी से पानी भरते हैं ! तो आप इंजेक्शन से खींचते रहिए !और आप first time निकलेंगे तो देखेंगे कि उस खून का रंग हल्का blackish होगा या dark होगा तो समझ लीजिये उसमे जहर मिक्स हो गया है !
तो जब तक वो dark और blackish रंग blood निकलता रहे आप खिंचीये ! तो वो सारा निकल आएगा ! क्यूंकि साँप जो काटता है उसमे जहर ज्यादा नहीं होता है 0.5 मिलीग्राम के आस पास होता है क्यूंकि इससे ज्यादा उसके दाँतो मे रह ही नहीं सकता ! तो 0.5 ,0.6 मिलीग्राम है दो तीन बार मे आपने खीच लिया तो बाहर आ जाएगा ! और जैसे ही बाहर आएगा आप देखेंगे कि रोगी मे कुछ बदलाव आ रहा है थोड़ी consciousness (चेतना) आ जाएगी ! साँप काटने से व्यकित unconsciousness हो जाता है या semi consciousness हो जाता है और जहर को बाहर खींचने से चेतना आ जाती है ! consciousness आ गई तो वो मरेगा नहीं ! तो ये आप उसके लिए first aid (प्राथमिक सहायता) कर सकते हैं !
इसी injection को आप बीच से कट कर दीजिये बिलकुल बीच कट कर दीजिये 50% इधर 50% उधर ! तो आगे का जो छेद है उसका आकार और बढ़ जाएगा और खून और जल्दी से उसमे भरेगा !
तो ये आप रोगी के लिए first aid (प्राथमिक सहायता) के लिए ये कर सकते हैं !
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दूसरा एक medicine आप चाहें तो हमेशा अपने घर मे रख सकते हैं बहुत सस्ती है homeopathy मे आती है ! उसका नाम है NAJA (N A J A ) ! homeopathy medicine है किसी भी homeopathy shop मे आपको मिल जाएगी ! और इसकी potency है 200 ! आप दुकान पर जाकर कहें NAJA 200 देदो ! तो दुकानदार आपको दे देगा ! ये 5 मिलीलीटर आप घर मे खरीद कर रख लीजिएगा 100 लोगो की जान इससे बच जाएगी ! और इसकी कीमत सिर्फ पाँच रुपए है ! इसकी बोतल भी आती है 100 मिलीग्राम की 70 से 80 रुपए की उससे आप कम से कम 10000 लोगो की जान बचा सकते हैं जिनको साँप ने काटा है !
और ये जो medicine है NAJA ये दुनिया के सबसे खतरनाक साँप का ही poison है जिसको कहते है क्रैक ! इस साँप का poison दुनिया मे सबसे खराब माना जाता है ! इसके बारे मे कहते है अगर इसने किसी को काटा तो उसे भगवान ही बचा सकता है ! medicine भी वहाँ काम नहीं करती उसी का ये poison है लेकिन delusion form मे है तो घबराने की कोई बात नहीं ! आयुर्वेद का सिद्धांत आप जानते है लोहा लोहे को काटता है तो जब जहर चला जाता है शरीर के अंदर तो दूसरे साँप का जहर ही काम आता है !
तो ये NAJA 200 आप घर मे रख लीजिये !अब देनी कैसे है रोगी को वो आप जान लीजिये !
1 बूंद उसकी जीभ पर रखे और 10 मिनट बाद फिर 1 बूंद रखे और फिर 10 मिनट बाद 1 बूंद रखे !! 3 बार डाल के छोड़ दीजिये !बस इतना काफी है !
और राजीव भाई video मे बताते है कि ये दवा रोगी की जिंदगी को हमेशा हमेशा के लिए बचा लेगी ! और साँप काटने के एलोपेथी मे जो injection है वो आम अस्तप्तालों मे नहीं मिल पाते ! डाक्टर आपको कहेगा इस अस्तपाताल मे ले जाओ उसमे ले जाओ आदि आदि !!
और जो ये एलोपेथी वालो के पास injection है इसकी कीमत 10 से 15 हजार रुपए है ! और अगर मिल जाएँ तो डाक्टर एक साथ 8 से -10 injection ठोक देता है ! कभी कभी 15 तक ठोक देता है मतलब लाख-डेड लाख तो आपका एक बार मे साफ !! और यहाँ सिर्फ 10 रुपए की medicine से आप उसकी जान बचा सकते हैं !
और राजीव भाई इस video मे बताते है कि injection जितना effective है मैं इस दवा(NAJA) की गारंटी लेता हूँ ये दवा एलोपेथी के injection से 100 गुना (times) ज्यादा effective है !
तो अंत आप याद रखिए घर मे किसी को साँप काटे और अगर दवा(NAJA) घर मे न हो ! फटाफट कहीं से injection लेकर first aid (प्राथमिक सहायता) के लिए आप injection वाला उपाय शुरू करे ! और अगर दवा है तो फटाफट पहले दवा पिला दे और उधर से injection वाला उपचार भी करते रहे !
दवा injection वाले उपचार से ज्यादा जरूरी है !!
__________________________
तो ये जानकारी आप हमेशा याद रखे पता नहीं कब काम आ जाए हो सकता है आपके ही जीवन मे काम आ जाए ! या पड़ोसी के जीवन मे या किसी रिश्तेदार के काम आ जाए! तो first aid के लिए injection की सुई काटने वाला तरीका और ये NAJA 200 hoeopathy दवा ! 10 - 10 मिनट बाद 1 - 1 बूंद तीन बार
रोगी की जान बचा सकती है !!
आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
गला और छाती की बीमारी का इलाज
गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अछि दावा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बिमारिओं में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में निचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बछो को तो जरुर करना ; बछो के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है ; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।
गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुतंत ठीक हो जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दावा है अदरक , ये जो अदरक है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रखलो और टफी की तरह चुसो खासी तुतंत बंध हो जाएगी । अगर किसीको खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिलाना थोड़ा सा गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरम करके पी लेना तो जिसको खासते खासते चेहरा लाल पड़ा है उसकी खासी एक मिनट में बंध हो जाएगी । और एक अछि दावा है , अनार का रस गरम करके पियो तो खासी तुरन्त ठीक होती है । काली मिर्च है गोल मिर्च इसको मुह में रख के चबालो , पीछे से गरम पानी पी लो तो खासी बंध हो जाएगी, काली मिर्च को चुसो तो भी खासी बंध हो जाती है ।
छाती की कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोंकिओल अस्थमा, इन तीनो बीमारी का सबसे अच्छा दवा है गाय मूत्र ; आधा कप गोमूत्र पियो सबेरे का ताजा ताजा तो दमा ठीक होता है, अस्थमा ठीक होता है, ब्रोंकिओल अस्थमा ठीक होता है । और गोमूत्र पिने से टीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पांच छे महीने पीना पड़ता है । दमा अस्थमा का और एक अछि दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट गुड या सेहद मिलाके गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक कर देती है ।
गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अछि दावा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बिमारिओं में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में निचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दुबारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बछो को तो जरुर करना ; बछो के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है ; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है ।
गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुतंत ठीक हो जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दावा है अदरक , ये जो अदरक है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रखलो और टफी की तरह चुसो खासी तुतंत बंध हो जाएगी । अगर किसीको खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिलाना थोड़ा सा गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरम करके पी लेना तो जिसको खासते खासते चेहरा लाल पड़ा है उसकी खासी एक मिनट में बंध हो जाएगी । और एक अछि दावा है , अनार का रस गरम करके पियो तो खासी तुरन्त ठीक होती है । काली मिर्च है गोल मिर्च इसको मुह में रख के चबालो , पीछे से गरम पानी पी लो तो खासी बंध हो जाएगी, काली मिर्च को चुसो तो भी खासी बंध हो जाती है ।
छाती की कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोंकिओल अस्थमा, इन तीनो बीमारी का सबसे अच्छा दवा है गाय मूत्र ; आधा कप गोमूत्र पियो सबेरे का ताजा ताजा तो दमा ठीक होता है, अस्थमा ठीक होता है, ब्रोंकिओल अस्थमा ठीक होता है । और गोमूत्र पिने से टीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पांच छे महीने पीना पड़ता है । दमा अस्थमा का और एक अछि दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट गुड या सेहद मिलाके गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक कर देती है ।
गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुतंत ठीक हो जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दावा है अदरक , ये जो अदरक है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रखलो और टफी की तरह चुसो खासी तुतंत बंध हो जाएगी । अगर किसीको खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिलाना थोड़ा सा गुड या सेहद । अब इसको थोडा गरम करके पी लेना तो जिसको खासते खासते चेहरा लाल पड़ा है उसकी खासी एक मिनट में बंध हो जाएगी । और एक अछि दावा है , अनार का रस गरम करके पियो तो खासी तुरन्त ठीक होती है । काली मिर्च है गोल मिर्च इसको मुह में रख के चबालो , पीछे से गरम पानी पी लो तो खासी बंध हो जाएगी, काली मिर्च को चुसो तो भी खासी बंध हो जाती है ।
छाती की कुछ बिमारिया जैसे दमा, अस्थमा, ब्रोंकिओल अस्थमा, इन तीनो बीमारी का सबसे अच्छा दवा है गाय मूत्र ; आधा कप गोमूत्र पियो सबेरे का ताजा ताजा तो दमा ठीक होता है, अस्थमा ठीक होता है, ब्रोंकिओल अस्थमा ठीक होता है । और गोमूत्र पिने से टीबी भी ठीक हो जाता है , लगातार पांच छे महीने पीना पड़ता है । दमा अस्थमा का और एक अछि दावा है दालचीनी, इसका पाउडर रोज सुबह आधे चम्मच खाली पेट गुड या सेहद मिलाके गरम पानी के साथ लेने से दमा अस्थमा ठीक कर देती है ।
Monday, December 17, 2012
जाने कैसे होगी नार्मल डिलिवरी
आज के मार्डन जमाने में जहां हाईटेक डॉक्टर मौजूद हैं, वहीं पर कुछ गर्भवती महिलाएं सिजेरियन डिलिवरी करवाना पसंद नहीं करतीं। सिजेरियन डिलिवरी करवाने पर स्ट्रैच मार्क्स जैसी समस्या तो आती ही है लेकिन इसके अलावा कई बातों का ख्याल भी रखना पड़ता है। सिजेरियन के बाद देखभाल करना बहुत जरुरी हो जाता है और अगर सही से देखभाल न कि गई तो यह आपके लिए ही खतरा हो
गा। इसलिए यह बेहतर होगा कि आप सिर्फ और सिर्फ नार्मल डिलिवरी के लिए ही जाएं। पर इसके लिए आपको क्या करना होगा जानने के लिए पढि़ये हमारा यह लेख-
कैसे हो नार्मल डिलिवरी
1.स्वस्थ्य रहें- आपको यह बात पूरी तरह से पक्की कर लेनी होगी कि बच्चे को जन्म देते वक्त आपको बहुत पीड़ा सहनी पड़ेगी और यह आसान नहीं होने वाला है। अगर आप कमजोर हैं और आपमें खून की कमी है तो आपके लिए यह कदम बहुत मुश्किल होगा।
2.सही आहार लें- आपने कई बार सुना होगा कि खाना खा कर केवल भूंख को शांत कर लेना ही काफी नहीं होता। आपके डॉक्टर ने जो कुछ भी खाने को आपसे कहा है उसे जरुर खाएं जिससे आपमें ताकत और पोषण बना रहे। प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की बहुत जरुरत पड़ती है इसलिए जितना भी हो सके अपने आहार में इसे जरुर शामिल करें। सामान्य प्रसव में यदि दो से तीन चार सौ एम.एल. ब्लड लॉस होता है, तो सिजेरियन डिलीवरी में यह नुकसान दो से तीन गुना ज्यादा होता है।
3.खूब पानी पिएं- आप तो जानती ही होगीं कि शिशु एक तरल पदार्थ से भी हुई झोली में रह कर बड़ा होता है। इसको हम एमनियोटिक फ्लयूड कहते हैं, जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। इसलिए आपके लिए रोजाना 8 से 10 ग्लास पानी पीना बहुत जरुरी है।
4.टहलें- पुराने जमाने में प्रेगनेंट महिलाओं को घर में रह कर पूरे 9 महीनों तक आराम करने की सलाह दी जाती थी। पर यह बात समझनी जरुरी है कि आप प्रेगनेंट हैं बीमार नहीं। आपको अपने रोजाना के काम बंद नहीं करने चाहिये बल्कि चलना फिरना चाहिये। इससे नार्मल डिलिवरी होने में मदद मिलती है।
5.व्यायाम- अगर आप शुरु से ही रोजाना व्यायाम करती आ रहीं हैं तो नार्माल डिलिवरी के ज्यादा चांस हैं। आपको कोई ऐसा फिटनेस सेंटर ज्वाइंन कर लेना चाहिये जो आपकी मासपेशियों को मजबूत बनाने में मददगार साबित हो सके। बच्चे को पुश करने में मजबूत मासपेशियों का बहुत बड़ा रोल होता है।
गा। इसलिए यह बेहतर होगा कि आप सिर्फ और सिर्फ नार्मल डिलिवरी के लिए ही जाएं। पर इसके लिए आपको क्या करना होगा जानने के लिए पढि़ये हमारा यह लेख-
कैसे हो नार्मल डिलिवरी
1.स्वस्थ्य रहें- आपको यह बात पूरी तरह से पक्की कर लेनी होगी कि बच्चे को जन्म देते वक्त आपको बहुत पीड़ा सहनी पड़ेगी और यह आसान नहीं होने वाला है। अगर आप कमजोर हैं और आपमें खून की कमी है तो आपके लिए यह कदम बहुत मुश्किल होगा।
2.सही आहार लें- आपने कई बार सुना होगा कि खाना खा कर केवल भूंख को शांत कर लेना ही काफी नहीं होता। आपके डॉक्टर ने जो कुछ भी खाने को आपसे कहा है उसे जरुर खाएं जिससे आपमें ताकत और पोषण बना रहे। प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की बहुत जरुरत पड़ती है इसलिए जितना भी हो सके अपने आहार में इसे जरुर शामिल करें। सामान्य प्रसव में यदि दो से तीन चार सौ एम.एल. ब्लड लॉस होता है, तो सिजेरियन डिलीवरी में यह नुकसान दो से तीन गुना ज्यादा होता है।
3.खूब पानी पिएं- आप तो जानती ही होगीं कि शिशु एक तरल पदार्थ से भी हुई झोली में रह कर बड़ा होता है। इसको हम एमनियोटिक फ्लयूड कहते हैं, जिससे बच्चे को ऊर्जा मिलती है। इसलिए आपके लिए रोजाना 8 से 10 ग्लास पानी पीना बहुत जरुरी है।
4.टहलें- पुराने जमाने में प्रेगनेंट महिलाओं को घर में रह कर पूरे 9 महीनों तक आराम करने की सलाह दी जाती थी। पर यह बात समझनी जरुरी है कि आप प्रेगनेंट हैं बीमार नहीं। आपको अपने रोजाना के काम बंद नहीं करने चाहिये बल्कि चलना फिरना चाहिये। इससे नार्मल डिलिवरी होने में मदद मिलती है।
5.व्यायाम- अगर आप शुरु से ही रोजाना व्यायाम करती आ रहीं हैं तो नार्माल डिलिवरी के ज्यादा चांस हैं। आपको कोई ऐसा फिटनेस सेंटर ज्वाइंन कर लेना चाहिये जो आपकी मासपेशियों को मजबूत बनाने में मददगार साबित हो सके। बच्चे को पुश करने में मजबूत मासपेशियों का बहुत बड़ा रोल होता है।
(भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है)
बढ़ती उम्र को रोक दें...
वायु का संबंध आयु से
अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
कछुए की साँस लेने और छोड़ने की गति इनसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं।
प्राचीन ऋषि वायु के इस रहस्य को समझते थे तभी तो वे कुंभक लगाकर हिमालय की गुफा में वर्षों तक बैठे रहते थे। श्वास को लेने और छोड़ने के दरमियान घंटों का समय प्राणायाम के अभ्यास से ही संभव हो पाता है।
शरीर में दूषित वायु के होने की स्थिति में भी उम्र क्षीण होती है और रोगों की उत्पत्ति होती है। पेट में पड़ा भोजन दूषित हो जाता है, जल भी दूषित हो जाता है तो फिर वायु क्यों नहीं। यदि आप लगातार दूषित वायु ही ग्रहण कर रहे हैं तो समझो कि समय से पहले ही रोग और मौत के निकट जा रहे हैं।
हठप्रदीपिका में इसी प्राणरूप वायु के संबंध में कहा गया है कि जब तक यह वायु चंचल या अस्थिर रहती है, जब तक मन और शरीर भी चंचल रहता है। इस प्राण के स्थिर होने से ही स्थितप्रज्ञ अर्थात मोक्ष की प्राप्ति संभव हो पाती है। जब तक वायु इस शरीर में है, तभी तक जीवन भी है, अतएव इसको निकलने न देकर कुंभक का अभ्यास बढ़ाना चाहिए, जिससे जीवन बना रहे और जीवन में स्थिरता बनी रहे।
असंयमित श्वास के कारण :
बाल्यावस्था से ही व्यक्ति असावधानीपूर्ण और अराजक श्वास लेने और छोड़ने की आदत के कारण ही अनेक मनोभावों से ग्रसित हो जाता है। जब श्वास चंचल और अराजक होगी तो चित्त के भी अराजक होने से आयु का भी क्षय शीघ्रता से होता रहता है।
फिर व्यक्ति जैसे-जैसे बड़ा होता है काम, क्रोध, मद, लोभ, व्यसन, चिंता, व्यग्रता, नकारात्मता और भावुकता के रोग से ग्रस्त होता जाता है। उक्त रोग व्यक्ति की श्वास को पूरी तरह तोड़कर शरीर स्थित वायु को दूषित करते जाते हैं जिसके कारण शरीर का शीघ्रता से क्षय होने लगता है।
कुंभक का अभ्यास करें :
हठयोगियों ने विचार किया कि यदि सावधानी से धीरे-धीरे श्वास लेने व छोड़ने और बाद में रोकने का भी अभ्यास बनाया जाए तो परिणामस्वरूप चित्त में स्थिरता आएगी।
श्वसन-क्रिया जितनी मंद और सूक्ष्म होगी उतना ही मंद जीवन क्रिया के क्षय होने का क्रम होगा। यही कारण है कि श्वास-प्रश्वास का नियंत्रण करने तथा पर्याप्त समय तक उसको रोक रखने (कुंभक) से आयु के भी बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। इसी कारण योग में कुंभक या प्राणायाम का सर्वाधिक महत्व माना गया है।
सावधानी :
आंतरिक कुंभक अर्थात श्वास को अंदर खींचकर पेट या अन्य स्थान में रोककर रखने से पूर्व शरीरस्थ नाड़ियों में स्थित दूषित वायु को निकालने के लिए बाहरी कुंभक का अभ्यास करना आवश्यक है। अतः सभी नाड़ियों सहित शरीर की शुद्धि के बाद ही कुंभक का अभ्यास करना चाहिए।
वैसे तो प्राणायाम अनुलोम-विलोम के भी नाड़ियों की शुद्धि होकर शरीर शुद्ध होता है और साथ-साथ अनेक प्रकार के रोग भी दूर होते हैं, किन्तु किसी प्रकार की गलती इस अभ्यास में हुई तो अनेक प्रकार के रोगों के उत्पन्न होने की संभावना भी रहती है। अतः उचित रीति से ही प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
प्राणायाम का रहस्य :
इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन नाड़ियाँ प्रमुख हैं। प्राणायम के लगातार अभ्यास से ये नाड़ियाँ शुद्ध होकर जब सक्रिय होती हैं तो व्यक्ति के शरीर में किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता और आयु प्रबल हो जाती है। मन में किसी भी प्रकार की चंचलता नहीं रहने से स्थिर मन शक्तिशाली होकर धारणा सिद्ध हो जाती है अर्थात ऐसे व्यक्ति की सोच फलित हो जाती है। यदि लगातार इसका अभ्यास बढ़ता रहा तो व्यक्ति सिद्ध हो जाता है।
वायु का संबंध आयु से
अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
कछुए की साँस लेने और छोड़ने की गति इनसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं।
प्राचीन ऋषि वायु के इस रहस्य को समझते थे तभी तो वे कुंभक लगाकर हिमालय की गुफा में वर्षों तक बैठे रहते थे। श्वास को लेने और छोड़ने के दरमियान घंटों का समय प्राणायाम के अभ्यास से ही संभव हो पाता है।
शरीर में दूषित वायु के होने की स्थिति में भी उम्र क्षीण होती है और रोगों की उत्पत्ति होती है। पेट में पड़ा भोजन दूषित हो जाता है, जल भी दूषित हो जाता है तो फिर वायु क्यों नहीं। यदि आप लगातार दूषित वायु ही ग्रहण कर रहे हैं तो समझो कि समय से पहले ही रोग और मौत के निकट जा रहे हैं।
हठप्रदीपिका में इसी प्राणरूप वायु के संबंध में कहा गया है कि जब तक यह वायु चंचल या अस्थिर रहती है, जब तक मन और शरीर भी चंचल रहता है। इस प्राण के स्थिर होने से ही स्थितप्रज्ञ अर्थात मोक्ष की प्राप्ति संभव हो पाती है। जब तक वायु इस शरीर में है, तभी तक जीवन भी है, अतएव इसको निकलने न देकर कुंभक का अभ्यास बढ़ाना चाहिए, जिससे जीवन बना रहे और जीवन में स्थिरता बनी रहे।
असंयमित श्वास के कारण :
बाल्यावस्था से ही व्यक्ति असावधानीपूर्ण और अराजक श्वास लेने और छोड़ने की आदत के कारण ही अनेक मनोभावों से ग्रसित हो जाता है। जब श्वास चंचल और अराजक होगी तो चित्त के भी अराजक होने से आयु का भी क्षय शीघ्रता से होता रहता है।
फिर व्यक्ति जैसे-जैसे बड़ा होता है काम, क्रोध, मद, लोभ, व्यसन, चिंता, व्यग्रता, नकारात्मता और भावुकता के रोग से ग्रस्त होता जाता है। उक्त रोग व्यक्ति की श्वास को पूरी तरह तोड़कर शरीर स्थित वायु को दूषित करते जाते हैं जिसके कारण शरीर का शीघ्रता से क्षय होने लगता है।
कुंभक का अभ्यास करें :
हठयोगियों ने विचार किया कि यदि सावधानी से धीरे-धीरे श्वास लेने व छोड़ने और बाद में रोकने का भी अभ्यास बनाया जाए तो परिणामस्वरूप चित्त में स्थिरता आएगी।
श्वसन-क्रिया जितनी मंद और सूक्ष्म होगी उतना ही मंद जीवन क्रिया के क्षय होने का क्रम होगा। यही कारण है कि श्वास-प्रश्वास का नियंत्रण करने तथा पर्याप्त समय तक उसको रोक रखने (कुंभक) से आयु के भी बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। इसी कारण योग में कुंभक या प्राणायाम का सर्वाधिक महत्व माना गया है।
सावधानी :
आंतरिक कुंभक अर्थात श्वास को अंदर खींचकर पेट या अन्य स्थान में रोककर रखने से पूर्व शरीरस्थ नाड़ियों में स्थित दूषित वायु को निकालने के लिए बाहरी कुंभक का अभ्यास करना आवश्यक है। अतः सभी नाड़ियों सहित शरीर की शुद्धि के बाद ही कुंभक का अभ्यास करना चाहिए।
वैसे तो प्राणायाम अनुलोम-विलोम के भी नाड़ियों की शुद्धि होकर शरीर शुद्ध होता है और साथ-साथ अनेक प्रकार के रोग भी दूर होते हैं, किन्तु किसी प्रकार की गलती इस अभ्यास में हुई तो अनेक प्रकार के रोगों के उत्पन्न होने की संभावना भी रहती है। अतः उचित रीति से ही प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
प्राणायाम का रहस्य :
इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना ये तीन नाड़ियाँ प्रमुख हैं। प्राणायम के लगातार अभ्यास से ये नाड़ियाँ शुद्ध होकर जब सक्रिय होती हैं तो व्यक्ति के शरीर में किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता और आयु प्रबल हो जाती है। मन में किसी भी प्रकार की चंचलता नहीं रहने से स्थिर मन शक्तिशाली होकर धारणा सिद्ध हो जाती है अर्थात ऐसे व्यक्ति की सोच फलित हो जाती है। यदि लगातार इसका अभ्यास बढ़ता रहा तो व्यक्ति सिद्ध हो जाता है।
प्रेगनेंसी के दौरान पीठ में दर्द का इलाज
गर्भावस्था के दौरान हर गर्भवती महिला को पीठ के दर्द से जूझना ही पड़ता है। उनका शरीर अपने अंदर एक शिशु को लिए होता है जिसके भार से उन्हें यह दर्द झेलना पड़ता है। दर्द होने का म
ात्र यही कारण नहीं है बल्कि महिला के अंदर हर समय हो रहे हार्मोन में बदलाव भी दर्द का कारण बनते हैं। आज हम इसी बात पर चर्चा करेगें की गर्भवती महिला को इस दौरान
ात्र यही कारण नहीं है बल्कि महिला के अंदर हर समय हो रहे हार्मोन में बदलाव भी दर्द का कारण बनते हैं। आज हम इसी बात पर चर्चा करेगें की गर्भवती महिला को इस दौरान
क्या सावधानियां रखनी चाहिये जिससे बैक पेन से राहत मिल सके।
कैसे पाएं निजात-
1. पोस्चर बनाएं- शिशु के जन्म के दौरान मां के पेट का भार लगातार नीचे की ओर होता है। इसलिए इस समय मासपेशियों का पर दबाव ज्यादा होता है तभी गर्भवती महिला को अपना पोस्चर हमेशा बनाएं रखना चाहिये। टहलना, सीधे बैठना, पैरा खीचना और नीचे की ओर न झुकना आपकी कमर पर बिल्कुल भी दबाव नहीं डालेगें। दर्द को अगर कम करना है तो रात को सोते समय पीठ के बजाय करवट लेकर ही सोएं।
2. मसाज- इस दौरान अगर पीठ या कमर में दर्द हो रहा हो तो गरम तेल या बाल्म से मसाज करने से फायदा होता है। तेल शरीर में सर्कुलेशन को तेज़ करता है जिससे मासपेशियों में कोई मोंच और दर्द नहीं होता। एक बात हमेशा ध्यान रखें की जब आपकी डिलीवरी डेट पास में हो तो, न ज्यादा टहलें और ना ही ज्यादा व्यायाम करें। अगर मासपेशियों पर दबाव को कम करना है तो एक्यूपंचर या एक्यूप्रेशर का सहारा लें।
3. व्यायाम- प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को हल्के फुल्के व्यायाम करने चाहिये। टहलने और स्ट्रैचिंग करने से नीचे का शरीर कडा होने से बच जाता है। पर ध्यान रहे की इसे करते वक्त आपके लिगामेंट्स में ज्यादा खिचाव न हो। इस दौरान स्विमिंग एक अच्छा व्यायाम है क्योंकि इससे आपका वजन कम होगा और हाथ-पैर भी स्ट्रैच होगें। इसके साथ ही योगा भी काफी फायदेमंद होगा।
4. ढीले कपड़े पहने- इस समय हल्के तथा ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिये। टाइट कपड़े पहनने से शरीर में खून का दौरा कम होने लगता है और इसी कारण मासपेशियां दर्द होने लगती हैं। इसलिए सूती के आरामदायक कपड़े ही पहनने चाहिये। इसी के साथ हाई हील चप्पलें या जूते भी कमर की मासपेशियों पर असर डालते हैं, जिस कारण दर्द होता है।
5. अन्य सुझाव- सोते समय हमेशा अपनी गर्दन के नीचे तकिया लगाएं। अगर बैक पेन हो रहा हो तो गरम पानी की बोतल या बर्फ के पैक से सिकाईं करें। इस दौरान बिल्कुल भी झुकना नहीं चाहिये।
कैसे पाएं निजात-
1. पोस्चर बनाएं- शिशु के जन्म के दौरान मां के पेट का भार लगातार नीचे की ओर होता है। इसलिए इस समय मासपेशियों का पर दबाव ज्यादा होता है तभी गर्भवती महिला को अपना पोस्चर हमेशा बनाएं रखना चाहिये। टहलना, सीधे बैठना, पैरा खीचना और नीचे की ओर न झुकना आपकी कमर पर बिल्कुल भी दबाव नहीं डालेगें। दर्द को अगर कम करना है तो रात को सोते समय पीठ के बजाय करवट लेकर ही सोएं।
2. मसाज- इस दौरान अगर पीठ या कमर में दर्द हो रहा हो तो गरम तेल या बाल्म से मसाज करने से फायदा होता है। तेल शरीर में सर्कुलेशन को तेज़ करता है जिससे मासपेशियों में कोई मोंच और दर्द नहीं होता। एक बात हमेशा ध्यान रखें की जब आपकी डिलीवरी डेट पास में हो तो, न ज्यादा टहलें और ना ही ज्यादा व्यायाम करें। अगर मासपेशियों पर दबाव को कम करना है तो एक्यूपंचर या एक्यूप्रेशर का सहारा लें।
3. व्यायाम- प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को हल्के फुल्के व्यायाम करने चाहिये। टहलने और स्ट्रैचिंग करने से नीचे का शरीर कडा होने से बच जाता है। पर ध्यान रहे की इसे करते वक्त आपके लिगामेंट्स में ज्यादा खिचाव न हो। इस दौरान स्विमिंग एक अच्छा व्यायाम है क्योंकि इससे आपका वजन कम होगा और हाथ-पैर भी स्ट्रैच होगें। इसके साथ ही योगा भी काफी फायदेमंद होगा।
4. ढीले कपड़े पहने- इस समय हल्के तथा ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिये। टाइट कपड़े पहनने से शरीर में खून का दौरा कम होने लगता है और इसी कारण मासपेशियां दर्द होने लगती हैं। इसलिए सूती के आरामदायक कपड़े ही पहनने चाहिये। इसी के साथ हाई हील चप्पलें या जूते भी कमर की मासपेशियों पर असर डालते हैं, जिस कारण दर्द होता है।
5. अन्य सुझाव- सोते समय हमेशा अपनी गर्दन के नीचे तकिया लगाएं। अगर बैक पेन हो रहा हो तो गरम पानी की बोतल या बर्फ के पैक से सिकाईं करें। इस दौरान बिल्कुल भी झुकना नहीं चाहिये।
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